सप्रे ने पूरे देश को जोड़ा भारतीय ज्ञान परम्परा से: आचार्य डॉ. शर्मा

सप्रे संग्रहालय भोपाल बना ज्ञान तीर्थ, भेंट की गईं पुस्तकें

भिलाई। वरिष्ठ शिक्षाविद् और साहित्याचार्य आचार्य डॉ. महेश चन्द्र शर्मा (Acharya Dr. Sharma) ने हाल ही में भोपाल स्थित पं. माधव राव सप्रे संग्रहालय का शैक्षणिक-सांस्कृतिक भ्रमण किया। इस अवसर पर संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक पद्मश्री विजय दत्त श्रीधर से उनका विस्तृत संवाद हुआ। डॉ. शर्मा को संग्रहालय का प्रत्यक्ष अवलोकन कराने के साथ “भाषा सत्याग्रह” समेत कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें भेंट की गईं।

(Sapre connected the whole country to the Indian knowledge tradition: Acharya Dr. Sharma)

डॉ. शर्मा ने कहा कि सप्रे संग्रहालय न केवल मध्यप्रदेश, बल्कि पूरे देश को भारतीय ज्ञान परम्परा से जोड़ने वाला एक अनूठा ज्ञान तीर्थ है। उन्होंने बताया कि पं. माधव राव सप्रे ने छत्तीसगढ़ मित्र जैसी प्रथम हिन्दी मासिक पत्रिका की शुरुआत कर हिन्दी पत्रकारिता में क्रांति की। सप्रे की प्रेरणा से ही पं. माखनलाल चतुर्वेदी ने ‘कर्मवीर’ का प्रकाशन शुरू किया और ‘गीता रहस्य’ जैसे ग्रंथों के हिन्दी संस्करण सामने आए।

संग्रहालय शोधार्थियों के लिए अमूल्य स्त्रोत

आचार्य डॉ. शर्मा ने बताया कि भोपाल का यह संग्रहालय शोधार्थियों के लिए अमूल्य स्रोत बन चुका है, जिससे अब तक देश-विदेश के लगभग 1500 शोधार्थियों ने एम.फिल., पीएच.डी. व डी.लिट् जैसी उपाधियाँ अर्जित की हैं। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकरदयाल शर्मा, प्रभाष जोशी, कमलेश्वर और डॉ. नामवर सिंह जैसे दिग्गजों ने इस केंद्र की सराहना की है।

पुस्तक भेंट की गई

इस भ्रमण के दौरान डॉ. शर्मा को महर्षि अगस्त्य वैदिक संस्थान भोपाल के अध्यक्ष आचार्य पं. प्रभुदयाल मिश्र द्वारा “भारतीय ज्ञान परम्परा-विविध आयाम” पुस्तक भेंट की गई, जो संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा प्रकाशित है। साथ ही, उन्हें डॉ. जवाहर कर्नावट की “विदेशों में हिन्दी पत्रकारिता” पुस्तक भी प्राप्त हुई।

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