CM हाउस में हरेली तिहार की धूम, कृषि यंत्रों की लगाई गई प्रदर्शनी, पारंपरिक खुमरी पहने दिखे मुख्यमंत्री साय

सीएम हाउस में हरेली तिहार की धूम, कृषि यंत्रों की लगाई गई प्रदर्शनी, पारंपरिक खुमरी पहने दिखे मुख्यमंत्री साय

CG Prime News@रायपुर. Chhattisgarh’s traditional Hareli festival celebrated at CM House छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता और कृषि परंपराओं के प्रतीक हरेली तिहार की सीएम हाउस में जमकर धूम रही। गुरुवार को मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के निवास परिसर में अत्यंत हर्षोल्लास और गरिमा के साथ यह तिहार मनाया गया। इस अवसर पर राज्य की समृद्ध विरासत, पारंपरिक कृषि यंत्रों, लोक परिधानों, खानपान और आधुनिक कृषि तकनीकों का समन्वय एक अद्भुत नजारे के रूप में सामने आया। कार्यक्रम स्थल को पारंपरिक छत्तीसगढ़ी रंग-रूप में सजाया गया था, जहां ग्रामीण परिधान पहने अतिथि, कलाकार और आमजन लोक संस्कृति में रमे हुए नजर आए

कृषि उपकरणों की लगाई गई प्रदर्शनी

हरेली उत्सव के दौरान मुख्यमंत्री निवास में परम्परागत और आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रदर्शन किया गया। मुख्यमंत्री साय ने प्रदर्शनी स्थल का भ्रमण कर विभिन्न पारंपरिक यंत्रों और वस्तुओं का अवलोकन किया। प्रदर्शनी में काठा, खुमरी, झांपी, कांसी की डोरी और तुतारी जैसे ऐतिहासिक कृषि उपकरणों को प्रदर्शित किया गया। कृषि विभाग द्वारा आयोजित आधुनिक कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी, जिसमें नांगर, कुदाली, फावड़ा, रोटावेटर, बीज ड्रिल, पावर टिलर और स्प्रेयर जैसे यंत्रों का प्रदर्शन किया गया।

सीएम हाउस में हरेली तिहार की धूम, कृषि यंत्रों की लगाई गई प्रदर्शनी, पारंपरिक खुमरी पहने दिखे मुख्यमंत्री साय

पारंपरिक खुमरी का बताया महत्व

काठा-वह परंपरागत मापक है जिससे पुराने समय में धान तौला जाता था। खुमरी-बांस और कौडिय़ों से बनी छांव प्रदान करने वाली टोपी है। झांपी-शादी-ब्याह में उपयोग होने वाली वस्तुएं रखने की बांस से बनी पेटी। कांसी की डोरी-खाट बुनने में काम आती है और तुतारी-पशुओं को संभालने में उपयोग होती है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि हरेली तिहार केवल पर्व नहीं, बल्कि यह हमारे कृषि जीवन, पशुधन और प्रकृति के प्रति सम्मान का प्रतीक है। इस अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी किसानों, युवाओं और आमजनों के लिए ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक रही। मुख्यमंत्री ने इन उपकरणों की जानकारी लेकर कृषि तकनीकी प्रगति की सराहना की और कहा कि छत्तीसगढ़ की खेती परंपरा और तकनीक के समन्वय से और भी अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनेगी।

किसानों को नई तकनीकों की जानकारी देकर हम राज्य की कृषि उत्पादकता को ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आम नागरिक, किसान, छात्र और जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे। इस आयोजन ने छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति और कृषि नवाचार के अद्वितीय संगम को सजीव रूप में प्रस्तुत किया। जो राज्य की समृद्ध परंपरा और विकासशील सोच का प्रतीक है।

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